कुमार दिनेश को मिला पत्रकारिता शिखर सम्मान, सविता और संदीप नाग भी हुए सम्मानित

पटना, 13 मई। बिहार के यशस्वी पत्रकार कुमार दिनेश को हिंदी पत्रकारिता में समर्पित और सतत योगदान के लिए विश्व संवाद केंद्र द्वारा वर्ष, 2023 का देशरत्न डाॅ. राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान प्रदान किया गया है। गत 43 वर्षोंं से कुमार दिनेश पत्रकारिता में सक्रिय हैं। इनकी पहचान एक शब्द साधक के रूप में है। सटिक शीर्षक और नपे-तुले शब्दों के प्रयोग में इन्हें महारथ हासिल है।
पटना सिटी के प्रतिष्ठित मारवाड़ी उच्च विद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई तथा पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में आपने स्नातक प्रतिष्ठा की पढ़ाई पुरी की। जेपी आंदोलन के दिनों में बहुत सक्रिय थे। बाद में लिखने-पढ़ने की रूचि एवं साहित्यिक संगत के कारण आज के स्थानीय संपादक पारसनाथ सिंह के संपर्क में आए और वहीं से हिंदी पत्रकारिता की राह पकड़ी। अपने पत्रकारिता जीवन में इन्होंने दैनिक आज, यूएनआई-युनिवात्र्ता, नव भारत टाइम्स और दैनिक जागरण सरीखे कई मीडिया संस्थानों में कार्य किया। आकाशवाणी और दूरदर्शन के भी कार्यक्रम में सतत सक्रिय रहते हैं। इनकी बिहार केन्द्रित दो पुस्तकें हैं- सुरंग केे पार बिहार (2013) और डबल इंजन सरकार (2019) प्रकाशित हो चुकी है। इन्होंने दो पुस्तकों का संपादन- आंखों भर आकाश (2011) और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की पुस्तक ‘बीच समर में’ (2015)-किया है।
विशिष्ट रिपोर्टिंग के लिए इस वर्ष का केशवराम भट्ट पत्रकारिता सम्मान वरीय संवाददाता सविता कुमारी को प्रदान किया गया है। सविता मुलतः नालंदा के रहने वाली है। बिहार में विकासोन्मुख पत्रकारिता हो या अपराध से जुड़ी खबरें, सभी जगह इनकी पैनी नजर रहती है। गत 13 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। पत्रकारिता में इन्हें लाडली मीडिया अवार्ड व फेलोशिप मिल चुका है। अभी अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय से बच्चों के अधिकार पर मिले फेलोशिप के लिए भी काम कर रही हैं। इस वर्ष का केशवराम भट्ट पत्रकारिता सम्मान इन्हें बिहार ओपन बोर्ड में चल रहे एक्सक्लूसिव समाचार के लिए प्रदान किया जा रहा है।
बाबूराव पटेल रचनाधर्मिता सम्मान बिहार-झारखंड के बहुचर्चित छायाकार संदीप कुमार नाग को प्रदान किया गया है। संदीप 2003 से फोटोग्राफी में सक्रिय हैं। बिहार से इनका पुराना लगाव है। वर्ष 2018 में वरिष्ठ पत्रकार शशि भूषण सिंह के साथ संदीप ने बिहार में गंगा नदी का प्रवेश से लेकर सीमा के अंत तक 17 दिनों तक नाव में रहकर 554 किलोमीटर की यात्रा कर तस्वीरों को कैद किया है। इनका यह अब तक सबसे रोमांचक असाइनमेंट रहा। इन्होंने न सिर्फ गया के प्रसिद्ध गिद्धकुट पहाड़ को बल्कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय और मधुबनी के 136 साल पुराने राजनगर पैलेस को भी अपने कैमरे में उतारा। इस वर्ष का बाबूराव पटेल रचनाधर्मिता सम्मान इनके बिहार से संबंधित तस्वीरों के लिए प्रदान किया गया है।
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