पटना, 15 दिसंबर। पारसनाथ तिवारी का पत्रकारिता जीवन वर्तमान पीढ़ी के पत्रकारों के लिए प्रेरणास्रोत है। जिस जीवटता और संघर्ष के साथ उन्होंने अखबार की स्थापना की एवं आर्थिक विपन्नता के बावजूद पत्रकारिता के मूल्यों को कायम रखा, वह आज के समय में असंभव है। उक्त बातें बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मंगल पांडेय ने कही। वे शुक्रवार को वरिष्ठ पत्रकार पारसनाथ तिवारी की स्मृति सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका विचार है कि पारसनाथ तिवारी के जीवन गाथा को संकलित करके एक पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया जाय और उसे भावी पत्रकारों और समाज के बीच ले जाया जाय। उनके जीवन संघर्ष को जानने के बाद इतना तय है कि वर्तमान पीढ़ी के पत्रकारों में पत्रकारिता के प्रति मूल्य विकसित होंगे।
पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह ने पारसनाथ तिवारी के आरंभिक दिनों से लेकर पत्रकारीय जीवन का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि पारसनाथ तिवारी ने जैसा जीवन जिया वैसा आज के समय में एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पारसनाथ तिवारी की पहचान पहले एक मजदूर नेता फिर पत्रकार और उसके बाद अखबार मालिक के रूप् में थी। अखबार का संस्थापक संपादक होते हुए भी उनके अंदर अद्वितीय सरलता एवं सहजता व्याप्त थी। वे कहते है कि सन् 1995-96 ई. में किसी अखबार में चारा घोटाले की खबर प्रकाशित नहीं की जाती थी, लेकिन उस दौर में हमेशा वे सचाई के साथ रहे और खबरों को प्रकाशित करते रहे जिसके कारण वर्तमान सरकार ने उन्हें प्रताड़ित भी किया था। उन्होंने कहा कि उसी डोर में उन्होंने सांध्य पत्रिका का भी प्रकासन किया जो हाथो हाथ बिक जाते थे।
वरिष्ठ पत्रकार अरूण पांडेय ने कहा कि पारसनाथ तिवारी अपने स्पष्टवादी स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वे बेलाग लपेट अपनी बात कहते थे एवं किसी लाभ को ध्यान में रखकर न तो किसी का पक्ष लेते थे और न ही किसी का विरोध करते थे। अपने दम पर अखबार जनहित के लिए निकाला लेकिन कभी किसी का भयादोहन नहीं किया। नये पत्रकारों को प्रोत्साहित भी करते थे एवं कोई संकट आने पर सामने आकर उसका समाधान करते थे। अपने पूरे जीवनकाल में उन्हांेने कभी मूल्यों से समझौता नहीं किया और न ही आर्थिक लाभ के लिए किसी का पक्ष लिया।
वरिष्ठ पत्रकार व एनयूजे (आई) के उपाध्यक्ष कृष्णकांत ओझा ने कहा कि आज के समय में जब पत्रकारिता एक व्यवसायक रूप ले चुका है, पारसनाथ तिवारी ने अपने पूरे पत्रकारिता जीवन को एक कर्मयोगी की तरह जिया। आज के समय कीपत्रकारिता में अर्धसत्य को सत्य के रूप में प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। ऐसे समय में पारसनाथ तिवारी की कमी पत्रकारिता जगत में खलेगी।
स्मृति सभा का संचालन विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार ने किया। इस अवसर पर बिहार श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव प्रेम कुमार एवं बिहार प्रेस मेंस यूनियन के अध्यक्ष एस. एन. श्याम ने बिहार के पत्रकारिता में ‘लौह पुरूष’ के रूप में जाने जानेवाले स्वर्गीय पारसनाथ तिवारी के जीवन पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन हिन्दुस्थान समाचार की स्टेट हेड व साउथ एशियन वुमेन इन मीडिया की बिहार राज्य महासचिव रजनी शंकर ने की।