पटना, 26 दिसम्बर। वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना का श्रेय बाला साहब देशपांडे जी को जाता हैं उनके प्रयास से 26 दिसंबर 1952 को वनवासी कल्याण आश्रम का स्थापना हुआ था तब से आज-तक सुदूर वनों में रहने वाले वनवासी बंधुओं की सेवा, शिक्षा, चिकित्सा और संस्कार केंद्रों के माध्यम से उन्हें स्वाबलंबन के लिए व्यवसाय प्रशिक्षण केंद्र, सहायता समूह तथा उनके उपज के विषय को समुचित व्यवस्था करके और अराष्ट्रीय तत्वों से सावधान करते हुए उन्हें अपने ही संस्कृति और परंपरा पर विश्वास और गर्व की प्रेरणा जगाकर उनका कल्याण करना ही वनवासी कल्याण आश्रम का कम हैं उक्त बाते अखिल भारतीय हित रक्षा प्रमुख श्री गिरिश कुबेर जी ने कही उन्होंने कहा विगत 66 वर्षों से मुख्यधारा से कटे हुए लोग जिन्हें बुनियादी सुविधाएं शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सहायता नहीं मील पाती है उन्हें सभी सुविधा उपलब्ध करना, और अराष्ट्रीय तत्वों द्वारा बचाकर रखना वनवासी कल्याण आश्रम का मुख्य कम है।
उन्होंने कहा कि आज वनवासी कल्याण आश्रम के जरिए वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्र के लोगों को सहायता प्रदान किया जा रहा है उन्होंने कहा कि सुदूर वनों में वनवासी कल्याण आश्रम भारत के वर्तमान में 36000 गांव के 8,00,000 वनवासी बच्चों को एकल विद्यालय फाउंडेशन शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यहां बुनियादी शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि समाज के उपेक्षित वर्गों को स्वास्थ्य विकास और स्वरोजगार संबंधी शिक्षा भी दी जाती है। भारत के वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में इस समय 25000 से अधिक एकल विद्यालय चल रहे हैं ग्रामीण भारत के उत्थान में शिक्षा के महत्व को समझाने वाले हजारों संगठन इसमें सहयोग दे।
वही विशिष्ट अतिथि के तोर पर बिहार सरकार के नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि वनवासियों का धर्म परिवर्तन आज सबसे बड़ा मुदा समाज के सामने है। उनको गुमराह कर उनका शोषण करने के साथ साथ उनका धर्म परिवर्तन भी कराया जाता हैं। संघ और वनवासी कल्याण आश्रम ने उन्हें रोकने का कम किया हैं जो सराहनीय हैं। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री पी. के. अग्रवाल (अध्यक्ष चेंबर ऑफ कॉमर्स बिहार) ने और मंच का संचालन आनंदमूर्ति जी ने किया
इस मोके पर दीघा विधायक संजीव चौरसियाजी, आर.एस.एस के दक्षिण बिहार प्रांत के सह संघचालक राजकुमार जी, पटना महानगर अध्यक्ष रवि प्रियदर्शी मौजूद थे।