[button color=”” size=”” type=”” target=”” link=””]नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण के लिए सीआरपीएफ विशेष पहल करेगा। जमुई के बरहट स्थित सीआरपीएफ 131 बटालियन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई है।[/button]
इस योजना के तहत नक्सल प्रभावित गांवों की गरीब व असहाय महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। जिले के बरहट प्रखंड के भलुका, बांझीप्यार गुरमाहा, चोरमारा, जमुनियाटांड सहित विभिन्न पिछड़े गांवों से चिह्नित महिलाओं को सीआरपीएफ ने सिलाई का प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया है। स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ऐसी महिलाओं को एक महीने तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें प्रमाण पत्र दिए जाएंगे ताकि प्रशिक्षित महिलाएं स्वरोजगार के अलावा किसी संस्था से जुड़कर भी सिलाई का काम कर सकें। इतना ही नहीं महिलाओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाली को सीआरपीएफ की ओर से निःशुल्क सिलाई मशीन भी दिया जाएगा। अगर यह योजना कारगर रही तो बिहार के अन्य नक्सल प्रभवित जिलों में भी इसे कार्यान्वित किया जाएगा।
60 महिलाएं ले चुकी हैं प्रशिक्षण
सीआरपीएफ 131 बटालियन द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना से बरहट व भीमबांध के आसपास के सुदूर गांवों की 60 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। नई पाली में 15 नई महिलाओं का चयन कर उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
प्रथमतः यह योजना मुख्य धारा में लौटे परिवार की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की है। इसका निर्देश सीआरपीएफ के डीजीपी द्वारा दिया गया है। डीजीपी के निर्देश पर समय समय पर सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों को सीआरपीएफ अंजाम देती है। कश्मीर के आतंक प्रभावित क्षेत्रों में भी यह योजना अपनाई गई थी। मुख्यधारा में आये आतंकी परिवारों के बीच इसका काफी लाभ मिला था।
सिलाई मशीन चलाने में असमर्थ दिव्यांग महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने की भी योजना है। ऐसी महिलाओं का चयन कर उनके हुनर के अनुसार उन्हें स्वरोजगार से जुड़े कार्यों का हुनर सिखाया जाएगा। दिव्यांग शिक्षित महिलाओं को कंम्प्यूटर स्टूडियो चलाने, कढ़ाई और खिलौना निर्माण जैसे कार्यों की तकनीक सिखाई जाएगी। इसमें दिव्यांग पुरुषों को भी शामिल किया जाएगा। प्रथम चरण में एक दिव्यांग महिला सहित कुल चार लोगों को शामिल किया गया है। इन्हें कम्प्यूटर व स्टूडियो चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।