
घटना से बाद वहां के नजदीकी चेटपट थाना में केस दर्ज किया गया। लेकिन वहां के पुलिस को इस केस को सुलझाने में दिक्कत देख तत्कालीन तमिलनाडु ने केस सीबीआई को रजिस्टर्ड करने को कहा। सरकार के कहने पर सीबीआई ने केस रजिस्टर्ड किया एवं जांच की प्रक्रिया शुरू की। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीबीआई ने 18 लोगों के खिलाफ धारा- 120-B r/w 302, 324, 326, 419, 436, 201, 153-A, 109 & 34 of IPC, Sec.9 B(1)(b) of Explosives Act, Sec. 3,4,5 and 6 of Explosives Substances Act and Sec. 3 (1), 3(2), 3(3) & 3(4) of TADA(P) Act, 1987 के तहत चार्जशीट दायर की। मुख्य आरोपी अहमद के ऊपर आतंकी हमले के लिए विस्फोटक रखने व अन्य अपराधियों को पनाह देने का भी आरोप है। सीबीआई ने अहमद के जानकारी देनेवालों को 10 लाख रूपये इनाम की भी घोषणा की थी। चूंकि अहमद सीबीआई के गिरफ्त से बाहर था इसलिए उसपर ट्रायल नहीं हो सका।12 साल के ट्रायल के बाद 2007 में चेन्नई के TADA न्यायालय ने 11 अपराधी को दोषी ठहराया और तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ट्रायल के बाद 2007 में ही स्पेशल कोर्ट ने 4 अपराधी को बरी कर दिया, जिसमें दो की मृत्यु हो चुकी है। बरी किये गये लोगों में अल उमा (प्रतिबंधित) संस्था के संस्थापक एस एस बासा भी शामिल था जिसे सबूत के अभाव में रिहा कर दिया गया।
गिरफ्तार अपराधी अहमद को न्यायालय में पेश किया जायेगा।