नागपुर, 02 जनवरी। हमारे देश की भाषा, संस्कृती और समाज में विविधताए है। इसलिए शिक्षा की दिशा एक समान हो कर भी पद्धतियो में भिन्नता हो सकती है। ऐसे में केंद्र से शिक्षा नीति बनना व्यवहार संमत नही होगा। इसलिए शिक्षा नीति विकेंद्रित होनी चाहिए। उक्त बाते प.पू सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर स्थित सीताबर्डी में रमाबाई रानडे स्मृति शिक्षा प्रबोधन पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथी के तौर पर कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा सभी प्रकार के विकास एंव उन्नति का आधार है। हमारे जीवन में बहुत बार ज्ञान शब्द का प्रयोग होता है। लेकिन ज्ञान का तात्पर्य केवल किताबी बातो से नही है।
कार्यक्रम के दौरान अभ्योदय ग्लोबल व्हिलेज स्कुल के सिचन और भाग्यश्री देशपांडे को सरसंघचालक के करकमलो से सन्मानित किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हे रमाबाई रानडे स्मृति शिक्षा प्रबोधन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।