भारतीय प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। बिहार के औरंगाबाद जिले के विनीत ने इस कड़ी में एक और नाम जोड़ा है। छोटे से कस्बे से इसी वर्ष इंटर करनेवाले विनीत ने कचरे से पेट्रोल बनाकर सबको अचंभित कर दिया है। यह कोई उनका पहला आविष्कार नहीं है बल्कि इसके पूर्व भी उन्होंने प्लास्टिक कचरे से कोरोना प्रोटेक्टिव अम्ब्रेला, रिस्ट बैंड सेनेटाइजर और फूल ऑटोमेटिक सेनिटाइजर टनल का निर्माण किया है। विलक्षण प्रतिभा के धनी विनीत को इंटरनेशनल युथ सोसाइटी ने भारत का यूथ एम्बेसडर बनाया है। औरंगाबाद अनुमंडल के एक छोटे से कस्बे देवहरा के रहनेवाले विनीत अति निर्धन परिवार से आने वाले धनेश प्रजापति और सुनीता देवी के सुपुत्र हैं। मैट्रिक की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की। शहर के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज से इस वर्ष इंटर की परीक्षा विज्ञान से उतीर्ण की है। विनीत शोध के काम में बचपन से ही सक्रिय हैं। दो वर्ष पहले बंगलादेश में युवा वैज्ञानिकों के संवर्धन और प्रोत्साहन के लिए एक ग्लोबल इवेंट कराया गया था और इस इवेंट के सब्जेक्ट को जब मैंने देखा तो मैंने उसके आयोजक पेरिस की संस्था इंटरनेशनल यूथ सोसाइटी के फ्रांस स्थित कार्यालय से संपर्क साधा और अपनी ओर से किए गए कार्यों की उन्हें जानकारी दी। संस्था की ओर से उसके अविष्कृत कार्यों का अवलोकन करने के बाद दो महीने पहले उनका ऑनलाइन साक्षात्कार लिया गया और उन्हें चयनित कर भारत में सोसाइटी का यूथ एम्बेसडर बनाया गया. फिलहाल विनीत फ्रांस में होनेवाले संस्था के अगले इवेंट की तैयारी में लगे हुए हैं। विनीत अपनी उपलब्धियों को बताते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाया तो इंडियन इनोवेशन एसोसिएशन, हैदराबाद उनके संपर्क में आया। इनके अविष्कार को रूस, पोलैंड, जिम्बावे, पुर्तगाल और दक्षिण अफ्रीका में काफी पसंद किया गया। विनीत बिहार के एकलौता ऐसा युवा वैज्ञानिक है जिसे इंटरनेशनल यूथ सोसायटी ने अपना एम्बेसडर बनाया है। यह संस्था विश्व में युवाओं के लिए कार्य करती है और कई देशों में इसकी शाखाएं हैं। विनीत की उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें बाल वैज्ञानिक रिसर्च आर्गेनाईजेशन का डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर भी बनाया गया है।