विहिप ने समाज से बंगाल में हिंसा पीड़ित हिन्दू समाज की सहायता, सहयोग व पुनर्वास हेतु आगे आने का आह्वान किया है. विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ ही प्रारंभ हुए हमलों में अब तक लगभग 11 हजार से अधिक हिन्दू बेघर हो चुके हैं तथा 40 हजार से अधिक प्रभावित हुए हैं. 142 महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार हुए. तथा अनेक महिलाओं का शील भंग हुआ. 5000 से अधिक मकान ध्वस्त किए गए. 7 स्थानों पर तो हिन्दू बस्तियों को ही बुलडोज कर या तो रातों-रात वहां मस्जिदें खड़ी कर दी गईं या फिर जिहादियों ने कब्जा जमा लिया. अकेले सुंदरबन में 200 से ज्यादा घर बुलडोजर द्वारा ध्वस्त कर दिए. अनुसूचित जातियां व जनजातियाँ विशेष निशाने पर रही. 26 लोगों की हत्याएं हुई हैं, जिनमें से अधिकांश अनुसूचित जाति व जनजाति के हैं. बस्तियों पर हमलों की 1627 घटनाएं हुईं. दो हजार से अधिक हिन्दू असम, उड़ीसा व झारखंड में शरण लेने को विवश हुए हैं.
हिंसा से त्रस्त बंधु-भगिनियों की सहातार्थ खुले मन से आगे आने का आह्वान करते हुए विहिप ने दो बैंक खातों के नंबर जारी किए. उन्होंने कहा कि देश वासी विश्व हिन्दू परिषद नई दिल्ली या भारत कल्याण प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के खाते में अपना अंशदान सीधे ट्रांसफर या चेक के माध्यम से करके हमें दानदाता का नाम, पता, टेलीफोन नंबर, ट्रांजेक्शन रेफ्रन्स नंबर के साथ kotishwar.sharma@gmail.com पर सूचित करें.
इस भयंकर हिंसा ने 1947 के भारत विभाजन के हिंसक नरसंहार की याद ताजा कर दी है. स्थिति की भयावहता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीड़ितों का दुखड़ा सुनते सुनते महामहिम राज्यपाल को भी रुँधे कंठ से कहना पड़ा कि मेरे राज्य के लोगों को जीने के लिए धर्म परिवर्तन को विवश होना पड़ रहा है. उनको यहाँ तक कहना पड़ा कि बंगाल हिंदुओं के लिए एक ज्वालामुखी बन गया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग इत्यादि अनेक संवैधानिक संस्थाओं ने भी राज्य में हो रहे घोर अत्याचारों पर अंकुश लगाने की मांग की है.
मिलिंद परांडे ने आह्वान किया कि देश-धर्म की रक्षा के लिए संघर्षरत बंगाल के हिन्दू समाज के साथ खड़ा होना और उनकी सहायता के लिए तत्पर रहना संपूर्ण देश का दायित्व है. बेघरबार हिंदुओं के लिए जीवन यापन की व्यवस्था, उनके लुट चुके घरों को बनाना व बसाना, अनाथ बच्चों को संभालना, घायलों की चिकित्सा, हिंदुओं पर बने झूठे मुकदमों को लड़ना, व्यवसाय शुरू करवाना, टूटे मंदिरों का पुनर्निर्माण, बलिदानी हिंदुओं के आश्रितों को सहायता, हिन्दू समाज की प्रतिरोधक शक्ति का निर्माण आदि कई ऐसे कार्य हैं जो आपदा की इस स्थिति में करने ही हैं. ये पीड़ित हिन्दू कोरोना महामारी से भी जूझ रहे हैं. कोरोना पीड़ितों की सेवा हेतु हम सभी प्राण-पण से जुटे ही हैं, हमें बंगाल को भी इस आपदा से बचाना है.