बिहार के समस्तीपुर स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा गुड़ व मशरूम विकसित किया है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होगा। ईख अनुसंधान केंद्र की टीम ने तुलसी, गिलोय, अदरख और सहजनके पत्ते के मिश्रण का उपयोग किया है। जिससे इसमें आयरन, मैग्नीशियम, पोटाश, फॉस्फोरश और कैल्शियम जैसे तत्वों का समावेश स्वाभाविक रूप से हो गया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हीरेशियम एवं सीटाके नामक दो मशरूम की प्रजाति को विकसित किया है। यह इम्युनिटी बढ़ाने में काफी कारगर सिद्ध हो रहा है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि संस्थान द्वारा विकसित गुड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बाहरी संक्रमण को रोकने में रामबाण की तरह है। गुड़ को बनाने में देसी तकनीक का सहारा लेते हुए इसमें तुलसी, गिलोय, अदरख और सहजन के पत्ते के मिश्रण का उपयोग किया गया है। गिलोय जहां एंटीबायोटिक का काम करता है वहीं सहजन शरीर को कई रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। वैसे भी गुड़ पाचक और फेफड़ों के लिए हितकर है। यह थकान को भी कम करता है।
Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University, Pusa, Samastipur
संस्थान द्वारा विकसित गन्ने का रस और मशरूम भी इम्युनिटी बढ़ाने वाला है। विश्वविद्यालय में मशरूम के भी कई उत्पाद तैयार किये गए है। ये इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है। यह आमजनों के लिए सरल एवं आसान तरीके से जल्द ही उपलब्ध हो सकेगा।वैज्ञानिक डॉ. दयाराम ने गुणवत्ता के संबंध में बताया कि सप्ताह में दो बार अगर मशरूम का सेवन किया जाए तो कई बीमारियां दूर भाग जाती हैं।
विश्वविद्यालय में हीरेशियम एवं सीटाके नामक दो मशरूम की प्रजाति को विकसित किया गया है। वैसे भी मशरूम एंटीट्यूमर, एंटी कैंसर, दिल की बीमारी, गला इत्यादि के कैंसर में लाभकारी होता है। हीरेशियम में एंटी टयूमर इमूनोमाइलेसन,कालेस्ट्रॉल नष्ट करने की क्षमता हाेती है। इसकी गुणवत्ता को देखते हुए उत्तरी अमेरिका व जापान सहित कई देशों में व्यावसायिक रूप से इसकी खेती की जाती है । विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित मशरूम की मिठाई एवं नमकीन भी काफी गुणकारी है। यह इम्युनिटी बढ़ाने में काफी कारगर सिद्ध हो रहा है।
इसके अलावे विश्वविद्यालय द्वारा स्वादिष्ट एवं पौष्टिक गन्ने का रस भी तैयार किया गया है। इसकी बिक्री भी खूब हो रही है। गन्ने का रस बनाने से पहले गन्ने के उच्च किस्म का चयन किया जाता है । इसके उपरांत इसमें पुदीना तथा अन्य औषधीय पदार्थ मिलाकर इसे पौष्टिक बनाया जाता है। इतना ही नहीं, इसकी सफाई में वनस्पति रस शोधकों का उपयोग किया जाता है।