विश्व संवाद केन्द्र एवं गंगा देवी महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में चलाये जा रहे तीन दिवसीय संवाद कार्यशाला का आज गुरुवार को समापन हो गया। अंतिम दिन प्रतिभागियों को कैमरा तकनीक तथा सिनेमा के बारे में बताया गया।
कार्यशाला में विषय प्रवेश करते हुए विश्व संवाद केन्द्र के संपादक संजीव कुमार ने कहा कि पत्रकारिता में कैमरे का विशेष महत्व है। एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है। अतः भावी पत्रकारों के लिए यह जरूरी है कि उनमें भाषाई समझ के साथ-साथ कैमरे की भी आधारभूत समझ हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अखबार, रेडियो आदि की तरह सिनेमा भी संचार का एक माध्यम है। अतः इसकी समझ भी जनसंचार के छात्रों को होनी चाहिए।
चर्चित सिनेमेटोग्राफर नरेन्द्र सिंह ने कैमरा की बारीकियों को समझाते हुए बताया कि छायांकन पूरी तरह प्रकाश व्यवस्था पर निर्धारित होता है। उन्होंने कैमरा एंगल, फ्रेम, हेड रूम, प्रकाश, रंग आदि जैसे विभिन्न आयामों को विस्तार से समझाया।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में फिल्मकार प्रशांत रंजन ने बताया कि सिनेमा महज मनोरंजन का जरिया नहीं है बल्कि यह संचार का एक प्रभावी माध्यम है। मनोरंजन से परे जाकर नई जानकारियां एवं सूचनाओं के संप्रेषण में सिनेमा विधा सहायक होता है। इसलिए सिनेमा को महज मनोरंजन का साधन मानने के बजाय इसे गंभीरता से ग्रहण करने की आवश्यकता है। सिनेमा के प्रति हमारे समाज का निराशाजनक एवं तिरस्कारपूर्ण व्यवहार होने के पीछे कारण है कि हम तक अच्छे सिनेमा की पहुंच नहीं हो पाई है। इसलिए जरूरी है कि बुरी फिल्मों को नकारते हुए हम अच्छी फिल्मों को देखने-दिखाने की आदत डालें। इस अवसर पर दो वृतचित्र ‘मुंबई मंत्रा’ तथा ‘भारतीय सिनेमा के सौ साल’ एवं एक लघु फिल्म ‘अभ्रक’ का प्रदर्शन किया गया व उसपर परिचर्चा की गई।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं विश्व संवाद केन्द्र के न्यासी विमल कुमार जैन प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि संचार और पत्रकारिता आज तकनीक के दौर में एक ऐसी चीज हो गई है जिसके इर्द-गिर्द पूरी दुनिया घूम रही है। सही तथ्य को आम जन तक पहंुचाना ही कत्तव्यनिष्ठ मीडिया का दायित्व है। उन्होंने छात्राओं से अपील की कि उनमें एक जिम्मेवार नागरिक एवं पत्रकार बनने की क्षमता है, जरूरत है तो बस भटके बिना अपने लक्ष्य पर अडिग रहने की।
धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी की विभागाध्यक्षा प्रो. (डाॅ.) नीलम सिन्हा ने किया। इस अवसर पर प्रो. कंचन चखैयार, प्रो. किरण, प्रो. मणिमाला आदि मुख्य रूप से उपस्थित थीं।